दीनदयाल द्वारा स्थापित एकात्म मानववाद की अवधारणा पर आधारित राजनीतिक दर्शन भारतीय जनसंघ (वर्तमान भारतीय जनता पार्टी) एक उपहार है। उनके अनुसार, एकात्म मानववाद प्रत्येक मनुष्य के शरीर, मन, बुद्धि और आत्मा का एक एकीकृत कार्यक्रम होता है। उन्होंने कहा कि भारत एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में पश्चिमी अवधारणाओं जैसे व्यक्तिवाद, जनतंत्र, समाजवाद, साम्यवाद और पूंजीवाद पर निर्भर नहीं हो सकता। उनका विचार था कि भारतीय बुद्धि पश्चिमी सिद्धांतों से प्रभावित थी और विचारधाराओं से घुटन महसूस होती है। परिणामस्वरूप मौलिक भारतीय विचारधारा का विकास और विस्तार में बहुत बाधा है। एकात्म मानववाद, भारत के रूप में पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने तत्कालीन राजनीति और समाज को उस दिशा में मुड़ने की सलाह दी है जो सौ प्रतिशत भारतीय है।
विवेक कुमार सिंह. पंडित दीनदयाल उपाध्याय का एकात्म मानववाद. International Journal of Sociology and Political Science, Volume 3, Issue 2, 2021, Pages 01-05